शनिवार, 6 जून 2015

कुतर्क मत करीं


रउआ से आग्रह बा कि तनी एक मिनट के समय दीं -
     "सुना है मैगी मे थोडा रासायन बढ गया, इसलिए उस पर बैन लगेगा....
     तम्बाकू, सिगरेट और शराब मे सरकार को, उम्र बढाने के कौनसे
     विटामिन, प्रोटीन दिखे जिनके लाईसेन्स वो रोज जारी कर रही है.".

    लोग मैगी पर बैन के विरोध में ऊपर वाला तर्क दे ता आ खूब व्हाट्स एप्प करता। हम अपना ओ भाई लोग से बतावे के चाहत बानी कि ‘बस दो मिनट’ में तैयार होने वाली मैगी हमारा-रउरा आपके नौनिहालन के सेहतो के दांव पर लगा सकता। खाद्य संरक्षा आ औषधि प्रशासन (एफएसडीए) हाले में बाराबंकी के एगो मल्टी स्टोर से मैगी के नमूना ले के ओकर जांच कोलकाता के रेफरल लैब से करवलस। जांच में ऊ नमूनवा फेल हो गइल आ ओहमे मोनोसोडियम ग्लूटामेट नाम के एमिनो एसिड खतरनाक मात्रा में पावल गइल। मैगी में प्रयोग होत ओह रसायन एमएसजी के मात्रा के मानक 2.5 राखल गइल रहे आ कंपनी 17.65 प्रयोग करत बिआ जवन बचवन खतिरा बड़ा नुकसानदायक बा। एफएसडीए एक्ट के तहत मोनोसोडियम ग्लूटामेट के प्रयोग होखे वाला समानन के रैपर पर एकरा मिलवला के बात साफ-साफ दर्ज करे के होला। सातवे इहो लिखे के होला कि 12 साल से कम उम्र के बच्चा एकरा के कवनो हाल में  प्रयोग ना करी। एमीनो एसिड श्रेणी के मोनोसोडियम ग्लूटामेट केमिकल वाला खाए के सामान लइकवन के सेहत के दांव पर लगावत बा। एह केमिकल के खइला से बचवा खाली एकर एडिक्ट ना होइहें सों, बाकिर दोसरो चीजें खाए से नाक-मुँह सिकोडावे लागले सों।  मैगी खाये वाला लइकन के शारीरिको विकास पर भी असर पड़ेला। मोनोसोडियम ग्लूटामेट लइकन के पचावे के क्षमता खराब क देला। एहसे लइकन के पेट में दर्द, रोटी-सब्जी, फल खइला पर उल्टी आवे लागेला, देह में सुस्ती बनल रहेला, गर्दन के पाछे के नस के कमजोर भइला से स्कूल के बस्तवो के बोझा ना उठा पावे ले सों आ याददाश्त कमजोर भइला के शिकायतो हो सकेला।  
    जहाँ ले उपरोक्त उत्पादन के बात बा, ई त सभे जानेला कि तम्बाकू, सिगरेट आ शराब स्वास्थ्य खातीर हानिकारक ह। लोग त एह नशा के जानबूझ के  अपनावेला। दोसर बात ई कि लोग भले अपने आप नशा में डूब जाला बाकिर अपना सन्तानन के दूर राखेला। आ रहल मैगी के बात, त ऊ त हमनी के खुदे अपना लइकवन के देनी जा। तब हमके उपर्युक्त तर्क फालतू आ अपनाही से ही बेमानी लागेला। एह हाल में तम्बाकू, सिगरेट आ शराब आदि पर 60 प्रतिशत हिस्सा में वैधानिक चेतावनी लिखल रहेला आ एहिजा त नेस्ले कंपनी आपन गलतिओं नइखे मानत। 
   ओकरा बादो ई त लइकन के सवाल बा। सोचे के त पड़बे करी। सोचिना। बढ़िया तर्क के साथे सोचीं। कुतर्क छोड़ दीं।  
                                                              ----------------
                                                                - केशव मोहन पाण्डेय 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें