शुक्रवार, 19 जून 2015

महुआ मन महँकावे


                                                                चित्र : www.pinterest.com
महुआ मन महँकावे,
पपीहा गीत सुनावे,
भौंरा रोजो आवे लागल अंगनवा में।
कवन टोना कइलू अपना नयनवा से।।

पुरुवा गाsवे लाचारी,
चिहुके अमवा के बारी,
बेरा बढ़-बढ़ के बोले,
मन एने-ओने डोले,
सिमटे लागल सिवनवा शरमावा से।।

अचके बढ़ जाला चाल,
सपना सजेला बेहाल,
सभे करे अब ठिठोली,
कोइलर बोले ले कुबोली,
हियरा हरषे ला जइसे फगुनवा में।।    

खाली चाहीं ना सिंगार,
साथे चाहीं संस्कार,
प्रेम पूजा के थाल,
बाकी सब माया-जाल,
लोग कहे चाहें कुछू जहानवा में।।
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                 - केशव मोहन पाण्डेय 

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