गुरुवार, 11 जून 2015

'ई बिस्मिल के हs'


   11 जून के रामप्रसाद बिस्मिल जी के जन्मदिन मनावल जाला। वइसे त भारत में महापुरुषन के ना कबो कमी रहल बा, ना रही, बाकिर राजनैतिक लिप्सा आ महत्वाकांक्षा के कारने रोजो जन्मदिन मनावल जाला। बेचारु बिस्मिल के जन्मदिन कमे लोग मनवता। सुने में आवेला कि ऊ भाजपाई लोग के सेनानी रहले। खैर, अगर आजु देश बचल बा आ हमनी के स्वतंत्रता दिवस मनावल जाता त ओहमे उनकर केहु से उनइस योगदान ना रहे। ऊ लोग त माई के अइसन सपूत रहे लोग कि भारत के बँटवारा खातीर कबो सोचलहू ना रहे लोग। 
बिस्मिल जइसन सपूतन के त भारत-त-भारत ह, पाकिस्तानो में जन्मदिन मनावे के चाहीं। ओ लोग खातीर कवनो जाति, धरम आ विचारधारा के बान्हा ना रहे। बस ओह सरफरोसियन के तमन्ना के त क़ातिल बाजुओ जानत रहे। 
    आज हमार एगो पोस्ट देख के हमार सात बरीस के एगो भतीजा पूछलसिहs कि चाचा ई बिस्मिल के हs।  तब हम कुछु लिखे के बेचैन हो गइनी हँ। आईं रामप्रसाद बिस्मिल के बारे में अपना भतीजवा के बहाने तनी-मनी बतावे के प्रयास कर तानी। ऊ देश के आज़ादी के सपना देखे वाला भारत माता के एगो सपूत रहले। उनकर जनम 11 जून 1817 के उत्तर प्रदेश के शाहजहाँपुर में भइल रहे। अंग्रेजी सरकार के नाच नचावे में माहिर सेनानियन में बिस्मिलो एक डेग आगहीं रहले। अंग्रेजी सरकार ओह क्रान्तिकारी, स्वतन्त्रता सेनानी, कवि, शायर, अनुवादक, बहुभाषाभाषी, इतिहासकार आ साहित्यकार के भगत सिंह, चन्द्रशेखर आज़ाद आदि जइसन आपन दुशमन माने। ऊ कुकर्मी अंग्रेज 30 बरीस के बिस्मिल के 19 दिसंबर 1927 के गोरखपुर के जेल में फाँसी दे देहले सों। 
    रामप्रसाद जी के 'बिस्मिल',' राम', 'अज्ञात' आ 'पण्डित जी' आदि उपनाम रहे। ऊ भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के आंदोलनकारी रहले। ऊ प्रमुख संगठन हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन में सक्रीय रहले। उनकर सबसे मशहूर उपनाम बिस्मिल रहे जवना के हिन्दी में माने होला - आत्मिक रूप से आहत। बिस्मिल के अलावा ऊ राम आ अज्ञातो के नाम से लेख आ कविता लिखस। आज माई के सपूत के सलामी में एगो दोहा बन गइल ह -
बिस्मिल के जिनगी मिलल, भले थोर या ढेर। 
पर ना कवनो हाल में, माटी मिलल अनेर।। 
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                                                                    - केशव मोहन पाण्डेय 

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