साथ आपन होखे या बेगाना चाहीं।
ख़ास बतिया कहेके बहाना चाहीं।।
मेहनत हs इबादत त घबड़ाए के का,
ज़िन्दगी में रुत हरदम सुहाना चाहीं।।
शौक पूरा करे में पसंद देखल जाला,
भूख लगला पर बसियो खाना चाहीं।।
सभे कहेला इहे - प्यार पूजा हवे,
सच समझे ला दोसर जमाना चाहीं।।
ना रहलो पर जेके एहसास करे सब,
खुद्दारी भरल अइसन दीवाना चाहीं।।
परई सबकर चढ़े हँड़िया पर रोजो,
इहे पाक दिल वाला सयाना चाहीं।।
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- केशव मोहन पाण्डेय
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