बुधवार, 27 मई 2015

अश्लीलता के विरोध


   मौका रहे एगो 'भोजपुरी महोत्सव' के। जइसे हमनी के आयोजन स्थल पर गउवीं जा की लाउडस्पीकर पर भोजपुरी गाना बाजे लगुवे। जवानी के उपमा चीनी आ चिउँटा के चर्चा से मन आहत हो गउवे। आपस में चर्चा भइला के बाद हम, अवधू भाई आ आकाश महेशपुरी भाई आयोजक जी लगे गउंवी जा। पूछल गउवे कि का एही गीतन पर रउरा भोजपुरी महोत्सव करवत बानी? 
   बेचारु कुछ उत्तर देबे में असमर्थ रहुँवे। काहें कि ऊ एगो अइसनका गायक के बोलावे के प्रस्ताव रखले रहुवें जे अपना गीतियन से खाली फुहड़ते परोसे ला। खैर हमनी के ई कहनाम रहुवे कि या त हई गीत बंद होखे, नाहीं त हमनी के जा तानी जा। 

   बेचारु के गीतिया बंद करवावे के पड़ुवे आ ओकरा बाद 'सजनवा बैरी भइले हमार' फिल्म के 'धनि-धनि भाग ललनवा' शुरू हो गउवे। 
   एह के माध्यम से हम सभे भोजपुरी प्रेमी से निहोरा करे के चाहतानी कि अगर रउओ कहीं अश्लील भोजपुरी गीत सुनतानी त पुरजोर आवाज़ में विरोध करीं। रउरा विरोध से सोचीं कि जब ना केहु सुनी त केहू गाई कइसे? केहू लिखी कइसे?
   वइसे हमरो अफसोस होला कि कबो (2005 में) अपना एगो एल्बम खातिर एगो गीत में 'ढोढ़ी' शब्द के प्रयोग कइले रहनी। ओह खातिर क्षमा माँगत बानी। बाकिर ऊ व्यंग्य में प्रयोग भइल रहे। माफ़ करेब लोगीन। आज त आनंद खातिर कइल जाता। अइसनका आनंद जाव चूल्हा-भार में। अपने आप से अश्लीलता के विरोध खातिर प्रण करीं। 

4 टिप्‍पणियां:

  1. भोजपुरी से अश्लीलता ना खतम भइल तअ भोजपुरिये खतम हो जाई!

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  2. जी भाई आकाश महेशपुरी जी, कतहूँ आ कवनो हाल में अश्लीलता के विरोध होखही के चाहीं।
    जय हो।

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  4. जी भाई आकाश महेशपुरी जी, कतहूँ आ कवनो हाल में अश्लीलता के विरोध होखही के चाहीं।
    जय हो।

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