सोमवार, 18 मई 2015

माई बिआ मजबूर








चउका पर बइठल बा मनवा
रोटी जोहे झूर,
माई बिआ मजबूर।।
आज केहू नइखे फक्कर
भार-कहार के छूटल चक्कर
नगद नारायन नेवता के बा
चलल नया दस्तूर।।
बिल से निकाले अनजा खेतिहर
पसरल बा लइका संग मेहर
ताड़ से जिनगी टपक रहल बा
मधुराइल बा खजूर।।
कवनो कोतहाई नइखे लगन में
केहू बइठल बा दूर गगन में
असरा अँखिया में बसल बा
गँठरी बनल भरपूर।।
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- केशव मोहन पाण्डेय

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