गुरुवार, 21 मई 2015

लिट्टी के आनंद


आज लिट्टी चाभे के तैयारी हो ता। पता ना केतना बरीस बाद भौरी के लिट्टी मिली। मन लरिआइल बा। रउरो आईं ना....। जनतानी मन ललचल होई। घरवो के ईयाद आवत होई। ईयाद आवत होई अपना आँगन के, दुआर के, छत के, जब भउरी तैयार होला। लिट्टी पलटत में भले हाथ जरे त का ह, जीभ पर स्वाद जाते सगरो पीर परा जाला। सुखलो मन हरिहरा जाला। रउओ त सुनलहीं होखेब-
             आनकर आटा आनकर घीव।
              चाभ-चाभ बाबा जीव।।
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                                - केशव मोहन पाण्डेय

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