मंगलवार, 26 मई 2015

पूर्वांचल भोजपुरी महोत्सव-2015


पूर्वांचल भोजपुरी महोत्सव के व्यवस्था शुरूआती दौर में अपना अव्यवस्था के कारन तनी अटकत लागत रहुवे, काहें कि 24 मई के बेजोड़ लगन रहुवे, बाकिर बाद असरदार हो गउवे। परिचर्चा खातिर जब वक्ता लोग के नेवतल गउवे त 'भोजपुरी के विकास में पूर्वांचल के भूमिका' के रूप में बड़ा सुन्नर-सुन्नर तर्क सामने अउवे।
राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त पं केदारनाथ मिश्र अपना विचार में भोजपुरी के कई गो समस्यन के गिनावत एकरा खातिर खाली महोत्सवे ना, जिनगी में उतारे खातिर प्रेरित कउवें। मो इलयास अंसारी जी पूर्वांचल में भोजपुरी के अलख जगावे वाला आ समृद्धि के ओर ले जाए वाला कलमकार लोग के सलाम करत ओह लोग के साथे सगरो समाज के उठे खातिर नेवतुअन। केशव मोहन पाण्डेय भोजपुरी के विकास में पूर्वांचल के भूमिका बतावत इँहा से दिल्ली आ देश के बाहरो तपस्या में लागल तपस्वी लोग के ईयाद करत एह माटी के समृद्धि, संघर्ष आ सेवा भाव के व्याख्या कउवन। उँहा के अपना माई के ओह गीतन के, किस्सा कहानियन के आ बोली के शऊर के इयाद क के आजुवो ओकरा जरुरत पर जोर देहूँवन। ऊ फूहड़ता के विरोध करे खातिर सबसे अपील कउवन। शिक्षा के अलख जगावे वाला सुधीर शाही अपना वक्तव्य में भोजपुरी के विकास में पूर्वांचल के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियन के इयाद क के नमन कउवन। परिचर्चा के पहिले गणमान्य लोगन के साथे आयोजक मण्डल के सदस्यों लोग सरस्वती माई के सामने दिया जरा के आ उँहा के चित्र पर माला पहिना के कार्यक्रम के श्रीगणेश कउवे लोग।


एही कड़ी में कवि लोग अपना कविता से आपन भावना बतउवे लोग। कवि गोष्ठी के अध्यक्षता भोजपुरी के प्रतिष्ठित कवि नथुनी कुशवाहा 'रामपति रसिया' जी कउवे। गोष्ठी के संचालन करत अवधकिशोर 'अवधू' अपना झकझोरे वाला विचार से भोजपुरी के विशेषता बता के ओकरा महत्त्व से सबके अवगत करउवे। ऊ अपना कविता से अश्लीलता के लिखे, पढ़े, सुने, सुनावे वाला, सबके विरोध कउवे। उनकर कहनाम रहुवे-
भोजपुरी संस्कृति के हद क देहले सं,
सबके बौना कद क देहले सं।
अश्लील गीत बनावे वाला, गावे वाला आ गवावे वाला
हं त भाई हो हद क देहले सं।।
केशव मोहन पाण्डेय अपना रचना से किसानन के दशा प्रस्तुत कउवें-
खेतवा बचाई
बचाई किसान के
नाही त
तरसे के पड़ी
एक चिटुकि पिसान के।
आकाश महेशपुरी जी पियक्कडन के चित्र खिंचुवे कि-
दारू से फायदा चलनी आज गिनावे के
एही से परल हमरा कागज कलम उठावे के
रसिया जी भोजपुरी पर आपन कविता सुनउवे -
भाषा भोजपुरी हमार
उजियार सगरी भाषवन से लागे।
भाव भोजपुरिया के कहीं ना भेंटाई
गतर गतर एकरा में भरल बा मिठाई
गावे कँहरवा कहार।।
एकरा बाद मंगल प्रसाद जी के समूह द्वारा भोजपुरी के विलुप्त होत लोक गीतन के प्रस्तुत कइल गउवे। 
कार्यक्रम में भोजपुरी के समृद्धि के प्रयास में लीन रहे वाला केदार नाथ मिश्र, इलियास अंसारी, सुधीर शाही आ केशव मोहन के शॉल ओढ़ा के आ स्मृति चिह्न दे के भोजपुरी गौरव से सम्मानित कइल गउवे। सम्मान के क्रम में सभे कवि लोग के भोजपुरिया कलम के सिपाही से सम्मानित कइल गउवे। कार्यक्रम में एकजुटता से भोजपुरी के सम्मान खातिर भोजपुरी में अश्लीलता के विरोध के प्रण कइल गउवे आ अगिला साल फिर से पूर्वांचल भोजपुरी महोत्सव में जुमे के आ आपन खुद के समीक्षा प्रस्तुत करे के जिद्द दोहरावल गउवे। देखले से लागत रहुवे कि आयोजन में मैन-पावर के कमी रहुवे आ आशातीत सहयोग के आभाव, बाकिर बंजरो खेत में  हरियाली लहलहावे के जिद्द  वइसहीं पूजनीय बा। एह कार्यक्रम के आयोजन भाष्कर जर्नलिस्ट एसोसिएशन के ओर से भइल रहुए। आयोजन के धूरि अखिलेश पाण्डेय जी कार्यक्रम के अंत में सबके प्रति धन्यवाद ज्ञापित करुवें।
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