मंगलवार, 17 मई 2016

अचके में आ के मुआवे लू हमके


अचके में आ के मुआवे लू हमके।
तू ही गम के दे लू
दवा दे लू गम के।

चमक बा वदन पर, बदन बाटे पातर
अँखिया बा भन्टा, बा मुँहवा टमाटर
फरिहरी लागल बा, लागल ना झमड़ा
गतर साग सउना, गतर फूल के लातर।
चटक लिहले बोली
पानी आलू-दम के।

डॉक्टर कहले, बाबा देखे ले पतरा
मधुमेह धइले बा, घेरले बाटे खतरा
हमरा लागे लोगवा एक नम्बरी झूठा
तहरा के देखनी त बन गइल जतरा।
बचा ल भरम तू
हमरा भरम के।

काहें ना आजुओ केहू के बुझाइल
पिरितिया ह अर्पण, ह लूटल लुटाइल
अँगना के कोना में तुलसी के पूरवा
मानल-मनावल, मनलो पर कोन्हाइल।
अँखिया में सपना
चान बन ऊहे चमके।

अगराइल बानी, ओढ़ नेहिया के चादर
उमसल सरेहवा में बुनिया, तू बादर
माई के ममता बा हमरा साथे त
कुछउ ना करीहे गोरी तोर फादर।
नेहिया लुटाव, ना
धमकी द बम के।
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- केशव मोहन पाण्डेय



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