मंगलवार, 10 मई 2016

आज मोर असरा पुराईं

आज मोर असरा पुराईं
हे माई
इहवाँ त आईं।।

वीनवा के तनवा से शनवा बढ़ा दीं
हमरी ओरीआ नजरिया घुमा दीं
भले मत मनवा बढ़ाई
हे माई
आज इहाँ आईं।।

अमल कमल मन राउर सिंहासन
हियरा के नियरा बनालीं आपन आसन
हमके छोड़ि कतहूँ न जाई
हे माई
आज इहाँ आईं।।

विनती करेले राउर सुर नर ज्ञानी
हमरा से होइबे करी माई नादानी
हो जाईं हमरा पर सहाई
हे माई
आज इहाँ आईं।।

सुनी ली पुकार हे सुरसती मइया
हमरा पर राखी अपना अँचरा के छइया
हमरा घरे एको बेर त आईं
हे माई
आज इहाँ आईं।।
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- केशव मोहन पाण्डेय

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