शुक्रवार, 13 मई 2016

तोहके चाही ले

तोहके चाही ले हमहूँ गुमान के तरे।
बसल बाड़ू हिया में परान के तरे।।

आँख लागे त सोंझा सुरतिया तोहार
गाद कपुरी के लागेला बतिया तोहार
रूप तहरा में बा अइसन रचल बसल
टहक चेहरा लागेला बिहान के तरे।।

रूप चानी लागे, रंग सोना लागे
गोल नैना दुनू करीआ टोना लागे
बैन बोल बोल बाँकी लुभावे लू मन
बैन काढ़े करेजा पुष्प-बान के तरे।।

कवनो कम नइखे काया कहीं लचके में
बात तहरे करे जो केहू अचके में
मचल मन के हिरीनिया बेहाल करेले
धावे धड़कन सीमा के जवान के तरे।।

नेह के एह नशा में शराब का लागी
नाम उचरे द, मुँहवा में जाब ना लागी
जिनगी तहरे से बाटे इहे साँच ह
तू बनल रह सूरुज अउर चान के तरे।।
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                              - केशव मोहन पाण्डेय

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