गुरुवार, 21 सितंबर 2017

चलs देखs गउवाँ में


घर के मुड़ेर पर चहके गउरइया।
चलs देखs गउवाँ में आजो हो भइया।।

घर-घर में नेहिया के संझा बराला
दिल के दियरखा पर टेम अगराला
तुलसी के पुरवा से अँगना के चउका
राग-अनुराग पाs के मनवा धधाला,
रोज-रोज अगरासन पावेले गइया।
चल देख गउवाँ में आजो हो भइया।।

बेली, चमेली, कनेली फूलेला
मनवा के तार बार-बार खनकेला
अमवा के बारी से बोले कोइलिया
पापी पपीहरा आजुओ कुहकेला,
पीपर के पात पर पागल पुरवइया।
चल देख गउवाँ में आजो हो भइया।।

गउवाँ के छोड़ भइल तुहूँ परदेसी
आदर-सन्मान मिलल गउवाँ से बेसी
माई के ऋण से उऋण नाही भइल
का कहब होई जब ओह घरे पेसी,
सब कुछ कीनाला बिना दिहले रुपइया।
चल देख गउवाँ में आजो हो भइया।।

चाहे जहाँ रहs मत भूल घर-द्वार हो
माटी के मोल माई-बाप के दुलार हो
सबका से नाता ऊँहा सबका में छोह बा
भोजपुरिया बानी बनल रसधार हो,
पार होले सहजे में जिनगी के नइया।
चल देख गउवाँ में आजो हो भइया।।
------केशव मोहन पाण्डेय ------

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