गुरुवार, 21 सितंबर 2017

मुक्तधारा ऑडिटोरियम में बबुआ गोबरधन


      
     काल्ह दिनांक 20 सितम्बर के रंगश्री के संस्थापक-संचालक आ श्रेष्ठ नाट्यकर्मी श्री महेंद्र प्रसाद सिंह के लेखन-निर्देशन के उत्पत्ति 'बबुआ गोबरधन'  नाटक के सुन्नर मंचन 'मैथिली भोजपुरी अकादमी' के सौजन्य सर भइल।नाटक पलायन के समस्या से उथल। पूर्वांचल के नौजवान सामान्य रूप से साधारण तौर पर पास हो के अपना हित-रिश्तेदार के भरोसे शहर के गाडी पकड़ ले ले। उनका सपना के शहर कुछ और होला आ आँखि के सोझा के कुछ और। गोबरधन अइसने नौजवान बाड़े जे खाली बी ए पास क के, ऊहो थर्ड डिवीज़न, अपना पहुना के भरोसे दिल्ली आ जात बाड़े कि सिफारिश आ पैसा के बल पर कतहूँ नौकरी लागिये जाई।

    पूरा नाटक में गोबरधन के गँवई सीधापन आ शहरी बनावटीपन के रेखांकन बड़ा सफाई से भइल बा। जिद्दी गोबरधन के जिद्द के आगे पढलो-लिखल शिक्षक बाप लाचार हो जात बाड़े त माई के दुलार में सहकल बेटा के मन पइसा पा के घुंटीओ घोंटे लागत बा। गाँव के सीधवा गोबरधन शहरी जीवन-शैली पर ठहाको लगावत बाड़े आ आधुनिक कपड़ा पर व्यंगो कसत बाड़े। उनका अपना गीत-गवनई आ भाव-भाषा से लगावो बा त धीरे-धीरे समय के साथे अनुभव करत ऊ गतिशीलो होत बाड़े।

    नाटक में समय के साथे संस्कृति के सामंजस्य के बात बा त आदमी के प्रगति खातिर कौशल के विकास के प्रेरणो बा। नाटक में मनोरंजन के पूरा सामान बा। हास्य त भरपूर बा। नाटक एक क्षण पूरा भावुक तब हो जात बा, जब चारोओर से उपेक्षित होत गोबरधन अपना पहुना से शाबाशी पावत बाड़े। हमरा नजर में ऊहे एगो क्षण बा, जवन तनी कमजोर लागत बा। हमरा विचार से ओहपर तनी अउरी ध्यान दिहल जाव आ ओह भावुकता के क्षण के तनी अउरी बढ़ावल जाव त नाटक अउरी रोचक हो जाई। एगो दर्शक के रूप में कहीं त ओहिजा एकाएक रोंआ गनगना गउवे बाकिर तुरंते रस परिवर्तन हो गउवे। 
 

    बाकी त नाटक के लेखक-निर्देशक श्री महेंद्र प्रसाद सिंह जी के निर्देशन में सगरो कलाकार अपना चरित्र में डूबल रहुवें।  मुख्य भूमिका में सौमित्र वर्मा, अखिलेश पाण्डेय, वीणा वादिनी चौबे, लवकांत सिंह के अतिरिक्त बाकी सगरो कलाकार एक से बढ़ के एक रहुवे लोग। 'मैथिली भोजपुरी अकादमी' के उपाध्यक्ष श्री सुजॉय सिंह, सचिव सुमन विष्ट आ मुख्य अतिथि पत्रकारिता के क्षेत्र में प्रतिष्ठित श्री एन के सिंह जी के उपस्थिति में कुल मिलाके ई नाटक अगर रउरा देखे के मिले त देख के अपना समय के सदुपयोग करीं। 
                                         ----------- केशव मोहन पाण्डेय ---------

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