शुक्रवार, 2 जून 2017

स्वास्थ्य के चिंता मत करीं, तनी ध्यान दीं


समय बदलत बा। बदलत एह समय में कुछो समयानुकूल नइखे लागत। आगे बढ़े खातिर मनई दिन-रात काम की पाछे दौड़त रहत बा। वह दौड़ में मनई अपने के भूला जात बा। 
शरीर के संरचना प्रकृति से प्रभावित बा आ मनई प्रकृति के ओह नियम के भूला के आगे भागत बा। ओह भागला में आदमी के खाइल, पिअल, सुतल, उठल, सब प्रभावित होता। ओह प्रभाव से शुगर, खून के दबाव आ दिल के परेशानी बढ़े लागत बा।
अगर आदमी ढेर ना, खाली अपना खानपान में तनी सा सुधार क ले, त ढेर सुधार हो जाई। जइसे कि 
अगर हमनी के अपना खाना में गेहूं के आटा के रोटी के जगह जौ आ चना के आटा के रोटी राखल जाव त बड़ा फायदा होई। गेंहू आ चना के अनुपात एह तरे राखे के चाहीं। 10 किलो चना आ 2 किलो जौ के एक्के में मिलाके पिसवा लीं। अब एही आटा के रोटी खाईं। 
बात मानीं, एह से रउरा जवन बेकाम के अतिरिक्त कॉर्बोहाइड्रेट लेनी, ओह से बचेब आ देहिया में फालतू के कैलोरीयो जमा ना होई। रउरा स्वस्थ रहेब, मस्त रहेब। 
त आजे से शुरू क दीं। हँसी-मज़ाक में दू जून के रोटी के चर्चा होला, काल्ह दू जून रहल। अब रउरो आपन रोटी बदलीं, देहिं धजा बदले लागी।
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