सोमवार, 25 जुलाई 2016

सइयाँ गइले परदेश


आ हो रामा, सइयाँ गइले परदेश
भेजे ना सन्देश ये हरी।।

फोनवो ना लागे, व्हाट्सएप्पओ ना आवे
कागा-कोइलर ना सनेसा सुनावे
आ हो रामा, केकरा पर करीं हम केस
भेजे ना सन्देश ये हरी।।

हहरी घहरी मेघा मोहे डरवावे
छने छन बिजुली चमकि के रिगावे
आ हो रामा, हमरो बढ़ावे कलेस
भेजे ना सन्देश ये हरी।।

बरसेला बरखा, भइली धरती धानी
तरसे अकेले ब्याकुल जिनगानी
आ हो रामा, होखे लागल झाँवर फेस
भेजे ना सन्देश ये हरी।।

करे किलोल ननदी झूला लगाके
देख दशा दिल के सपनों में आ के
आ हो रामा, बाँचल सावन दिन शेष
भेजे ना सन्देश ये हरी।।
---- केशव मोहन पाण्डेय ---

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