सोमवार, 25 जुलाई 2016

सइयाँ गइले परदेश


आ हो रामा, सइयाँ गइले परदेश
भेजे ना सन्देश ये हरी।।

फोनवो ना लागे, व्हाट्सएप्पओ ना आवे
कागा-कोइलर ना सनेसा सुनावे
आ हो रामा, केकरा पर करीं हम केस
भेजे ना सन्देश ये हरी।।

हहरी घहरी मेघा मोहे डरवावे
छने छन बिजुली चमकि के रिगावे
आ हो रामा, हमरो बढ़ावे कलेस
भेजे ना सन्देश ये हरी।।

बरसेला बरखा, भइली धरती धानी
तरसे अकेले ब्याकुल जिनगानी
आ हो रामा, होखे लागल झाँवर फेस
भेजे ना सन्देश ये हरी।।

करे किलोल ननदी झूला लगाके
देख दशा दिल के सपनों में आ के
आ हो रामा, बाँचल सावन दिन शेष
भेजे ना सन्देश ये हरी।।
---- केशव मोहन पाण्डेय ---

मंगलवार, 12 जुलाई 2016

वृत्त वाला खेत


वृत्त वाला खेत
सबसे उपजाऊँ
सबसे सयगर
टोला के उत्तर
गंडक के कछार में
दूर-दूर ले विस्तारित बा
वृत्त वाला खेत के
चौकस
लहलहात स्वरुप।
सभे मन से जुट जाला
एके जोते, कोड़े, बोये में
एकर विस्तार
कबो मनई विहीन ना रहेला
केहू ना केहू
कवनो ना कवनो
डँड़ार के बीचे
लउकीए जाला
कुछु सोहत
कुछु बोअत
असरा के चादर ओढले
उम्मीद के खुर्पी से
भय के मोथा।
ई वृत्त वाला खेत
भर देला घर
अन्न से
आ अन्न भरला पर
धनों भर जाला
सबका घर के
कइगो पीड़ा हर जाला।
बेटी के बियाह से ले के
लइका के पढ़ाई ले
ई वृत्त वाला खेत
के कारने
हो जाला सगरो व्यवस्था
तैयार हो जाले साहूकार
छन्ने भर में
पइसा देबे खातिर
ई वृत्त वाला खेत के
रेहन राखि के।
बाकिर एक बेर
मेटा गइल
नामो-निशान
जब भइल कटान
तब वृत्त वाला खेत
गंडक के पेट में समा गइल
सचहूँ,
सभे गमा गइल।
-- केशव मोहन पाण्डेय --

माई


अँचरा से ढाप के
पिया के
अक्षय कोष से अमरित
माई पोसली
आस के सीता
पढ़ली
विश्वास के गीता
बेटा बड़ हो के
कुछु त करीहें
ना ढ़ेर
त थोरहूँ
दुःख त हरिहें
पूत के पाँख जामते
धरती से पाँव उठ गइल
पहिले त
परब-त्यौहारन निअर आवस
अब सचहूँ गाँव छूट गइल
आ माई
अँचरा में मुँह लुकवा के
धीरे से लोर पोंछेली
बेर-बेर
अपना दूधवे के कोसेली
कि ईहे खार हो गइल
कि हमरा कवल-करेजा के
हमरा बाबू के
अइसन व्यवहार हो गइल।
--- केशव मोहन पाण्डेय ---

सोमवार, 11 जुलाई 2016

भोजपुरिया

हहरत घहरत उचरत सब रस
नस नस में मेहनत के बास भोजपुरिया।
नजरी के कगरी बा कजरा के धार
मार मदन के दाँव करे नास भोजपुरिया।
जाँगर से बाँगर बनावे लहलह अन्न
धूसर रहे तन मन खास भोजपुरिया।
बान्ह फेंटा पगरी के गगरी चढ़ावे दूध
पूत परमारथी के हास भोजपुरिया।
गितिया के भीतिया में राग रंग लोक
परलोक के पिरितिया के पाठ भोजपुरिया।
दही चिउड़ा सतुआ आ बथुआ के साग
राग मन के मातावे ऊहे ठाट भोजपुरिया।
कनवा पै अंगूरी दै भय के मेटावे
गावे तान राग बिरहा के हाल भोजपुरिया।
करम कुकरम के सब भेद जाने
माने इहवें गलेला हाड़ खाल भोजपुरिया।
हरवा के फरवा से भरे घरवा दुअरवा कि
पुअरवा प सुति हरे दुःख भोजपुरिया। 
पुछि हालचाल पूछे हियरा उछाल देला
बाँटे के चाहे सबके सुख भोजपुरिया।
देखे में लागे दुःख दरिद के रूप हवे
देखावे में जे राखे ना विश्वास भोजपुरिया।
जाईं कवनो दुनिया ह हमरे नमुनिया कि
दुनिया में सबसे बाटे ख़ास भोजपुरिया।
कराइए दी एकदिन आभास भोजपुरिया।
मन में बा आस्था -विश्वास भोजपुरिया।
गढले बा अनगिनत इतिहास भोजपुरिया।
मानवता के रखले बा सुवास भोजपुरिया।
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