बुधवार, 17 अगस्त 2016

आव पंजरी

आव पंजरी कि कजरी सुनाई पिया
सपना सजाईं पिया ना।

तुहीं हउव मोर प्राण,
राख एतना त ध्यान
तहसे रूठी हम, तहरे के मनाईं पिया
सपना सजाईं पिया ना।

नैन सपना तोहार
तुहीं अंगना दुआर
तोहपे सगरो जिनगिया लुटाईं पिया
सपना सजाईं पिया ना।।

देख बरखा बितल जात
पिया मान मोर बात
बरस नेह के बादर कि नहाई पिया
सपना सजाईं पिया ना।।
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       - केशव मोहन पाण्डेय 

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