आज होश में नइखीं, मनवा बउराइल बा।
बिना वजह दिमगवा में गोबर घोराइल बा।।
बिना वजह दिमगवा में गोबर घोराइल बा।।
अवघड़ के गढ़ नीयर फइलल बा सपना
हुदबुद्दी बरल जीव-जंगम छछनाइल बा।।
हुदबुद्दी बरल जीव-जंगम छछनाइल बा।।
असरा के पथरा पर बोलिया के बुन्नी
दऊँरी के मेहे मन बैला बन्हाइल बा।।
दऊँरी के मेहे मन बैला बन्हाइल बा।।
करीआ रात के गोर रोज करेंले चनरमा
सुरुज के दिन, उनके रतिए दिआइल बा।।
सुरुज के दिन, उनके रतिए दिआइल बा।।
बिलारे के भाग से टूट गइल सिकहर
मोछि पर ताव दे मुसवा चोंहराइल बा।।
मोछि पर ताव दे मुसवा चोंहराइल बा।।
ताँतल दूधवा से जरिबे करी ओंठवा
बुझता तबो ई बिलरा आगुताइल बा।।
बुझता तबो ई बिलरा आगुताइल बा।।
अबकी जाई कहाँ, हमरे के मिलबे करी
पाँच साल से गाँठ में चोरवा समाइल बा।।
पाँच साल से गाँठ में चोरवा समाइल बा।।
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- केशव मोहन पाण्डेय
- केशव मोहन पाण्डेय
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