श्री आर. डी. एन. श्रीवास्तव जी के हाइकू। व्यंग्य में पगल सात गो हाइकू जवन सोंझे करेजा में चुभता। ई हाइकू भोजपुरी के हाइकुअन के अगिला पाँतियन के सँघतिया बन सकेला। रउरो भोजपुरी के एह लोगन पर नाज़ होई। देखीं ना -
1.त का करतीं
फेनु बेटिये रहे
काहें धरतीं?
2.बाल क खाल
छोड़s अब नोचल
कहs का चाहीं ?
3.बुढ़वा पापी
घुसि जाई चुहानी
चुल्हिये तापी ।
4.का हो गइल?
बेटी भागि गइल?
नीक भइल।
5.बेटा बेचलs
शान! अपमान हs
बेटी बेचल।
6.तुमहूँ हारा
जीता तो हमहूँ ना
दूनू बेचारा ।
7.कवि नादान
उठs, लिखs, हाइकु
चल जापान ।
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- आर. डी. एन. श्रीवास्तव
1.त का करतीं
फेनु बेटिये रहे
काहें धरतीं?
2.बाल क खाल
छोड़s अब नोचल
कहs का चाहीं ?
3.बुढ़वा पापी
घुसि जाई चुहानी
चुल्हिये तापी ।
4.का हो गइल?
बेटी भागि गइल?
नीक भइल।
5.बेटा बेचलs
शान! अपमान हs
बेटी बेचल।
6.तुमहूँ हारा
जीता तो हमहूँ ना
दूनू बेचारा ।
7.कवि नादान
उठs, लिखs, हाइकु
चल जापान ।
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- आर. डी. एन. श्रीवास्तव